भगवान श्रीराम कों समर्पित है रामनामी समाज का जीवन
राम - राम का नाम जप ही हमारे जीवन का आधार है - समाज प्रमुख गुलाराम रामनामी
भगवान श्रीराम को समर्पित है रामनामी समाज का जीवन
राम-राम का नाम जप ही हमारे जीवन का आधार है – समाज प्रमुख गुलाराम रामनामी
अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर समारोह और छत्तीसगढ़ सरकार की रामलला योजना को लेकर रामनामी समाज के लोगों ने जताई खुशी
सारंगढ़-बिलाईगढ़, – जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी” रामचरित मानस के इस वाक्य अनुरूप भक्तगण अपनी श्रध्दा भक्ति कला, संगीत, भजन के अलग-अलग तरीकों से भगवान श्रीराम का पूजा अर्चना करते हैं। भगवान श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में राम के प्रति अपने समर्पण के लिए जो विख्यात हैं, वह रामनामी समाज है। इस समाज ने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीराम को समर्पित किया है। इस समाज के लोग अपने पूरे शरीर पर राम के नाम को स्थाई रूप से गुदवाते हैं और आजीवन राम के नाम का जाप कर अपनी भक्ति को दिखाते हैं। राम के प्रति समर्पण का यह तरीका अपने आप में अनूठा है जो पूरे देश में सिर्फ छत्तीसगढ़ में देखने को मिलता है। इसके साथ ही इस समाज के लोग जो सफेद रंग के कपड़े धारण करते हैं उसमें राम-राम लिखा होता है एवं घरों की दीवारों पर अलग-अलग तरीके से राम-राम लिखवाते हैं। अगर बातचीत या अभिवादन की बात करें तो आपस में एक दूसरे का अभिवादन शुरूआत में एवं अंत में राम-राम कहते हुए करते हैं।
छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज के लोगों के लिए राम का नाम उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक ऐसी संस्कृति, जिसमें राम नाम को मन में बसाने की परम्परा है। राम नाम का जाप करने वाले रामनामी समुदाय का वर्तमान केंद्र सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बिलाईगढ़ अंचल तक सिमट कर रह गया है। बिलाईगढ़ अंचल के चंदलीडीह गांव में बने रामनामी केन्द्र के प्रमुख गुलारामी रामनामी ने बताया कि श्रीराम तो हमारे जीवन के आधार हैं। आज से 130 साल पहले 1890 में युवक परशुराम द्वारा इस समाज की नींव रखी गई थी, जिसमें श्रीराम को मंदिर या मूर्ति पूजा के रूप में न मानकर तत्व रूप में स्मरण कर एवं उनका नाम जाप कर उनके प्रति भक्ति को दिखाया जाता है। पहले इनके समाज के लोग वर्तमान जांजगीर-चांपा, बिलासपुर और अविभाजित बलौदाबाजार व रायगढ़ जिले के कुछ क्षेत्रों में निवासरत थे, लेकिन अभी वर्तमान में ये बिलाईगढ़ के ही कुछ गांवों तक ही सिमट कर रह गये हैं और अब बमुश्किल 8-10 परिवार ही धरोहर की तरह बचे हुए हैं। समाज प्रमुख गुलाराम रामनामी ने बताया कि चंदलीडीह गांव में उन्होंने अपने ही घर को एक तरह से रामनामी समाज के समागम केन्द्र की तरह विकसित कर लिया है ताकि बाहर के लोग आकर एक जगह इस समाज के इतिहास, संस्कृति और जीवनशैली के बारे में संपूर्ण जानकारी ले सकें।
रामनामी समाज के सदस्यों ने कहा कि इतने सालों बाद भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होने जा रही है, इसकी उन्हें बेहद खुशी है। इतने दिनों के लंबे इंतजार के बाद जो यह फैसला हुआ, इससे पूरे देश में खुशी का माहौल है और उन्हें भी इस बात की बहुत प्रसन्नता है। उन्होंने बताया कि उनके पास भी अयोध्या जाने के लिए निमंत्रण आया है और वे भी अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की रामलला योजना को लेकर राज्य सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह बहुत अच्छा है कि सरकार प्रभु श्रीराम के महात्मय को ध्यान में रखते हुए रामभक्तों के लिए यह योजना लेकर आई है जिससे निश्चित रूप से सभी लाभान्वित होंगे और इस योजना की घोषणा से प्रदेश के रामभक्तों में अपार खुशी भी है।